Thursday, January 31, 2013

Tara

टूट -ते  तारे  की झिल-मिल रोशनी देख मन  को  तसल्ली  हुई ...

आज  फिर  कोई  ख्वाहिश  मांग  कर  मन  को  समझाया  मैंने  ...






Tuesday, September 20, 2011

Khwaab...

लोग, ख्वाब जिनकी ज़िन्दगी है रात छोटी उनके लिए है 
और जो ख्वाबों को हकीक़त की शक्ल देने में लगा हो ...दिन भी छोटे  उनके लिए हैं

ख्वाब और हकीक़त के दर्मियाँ ,फासले में एक पूरी ज़िन्दगी है...
हम जो सपने बुनते हैं अपने ज़ेहन में शक्ल देने की कश-म-कश में मशगूल रहते हैं, ये ज़िन्दगी उसी के लिए है 

दिन के सपने हम सभी देखते हैं पर वो जुनूनी जेहन की भूख के लिए है 
सपनो की साजिश में फसे कई लोग हैं  दुनिया में...बेफिक्री की ज़िन्दगी जीना ही बस उनके लिए है...

काटने हैं दिन जो अपनी जिंदगी के बेवजह, दिन भी लम्बे और सूने होते उनके लिए हैं...
जो शक्ल दे अपने जेहन के नक्श को अपने हौसले से, ये ज़िन्दगी की दौड़ उनके ही लिए है ...

Thursday, August 11, 2011

Ghar...

आज फिर एक घर बनाया था मैंने, घर सपनो की दीवारों का, ख्वाबों के दरवाजों का,
 उम्मीदों की सीढियां थी जिसमें , रोज़ की तरहा, घर की दीवारें टूटती,
फिर मैं मशगूल हो जाता उन्हें मढ़ने दोबारा...
एक सीढ़ी का इजाफा रोज़  ही होता था उसमें , पर उस आखिरी सीढ़ी तक पहुंचना मुश्किल भी है , मुमकिन भी है....
इस पशोपेश में मैं भूल आया, मखमली चादर जो बिछायी थी तमन्नाओं के पलंग पर,
वोह न जाने क्यूँ मैली हो गयी है...
बार बार उसे साफ़ करना रास मुझे अब आता नहीं, 
जिस दिन उसे कर साफ़ सोता हूँ तो मानो ... डूब जाता हूँ कहीं,
और तब वो आखिरी सीढ़ी मुझे लुभाती नहीं...
और उन दीवारों की चिंता मुझे सताती नहीं..

आज फिर एक घर बनाया है मैंने, घर सपनो की दीवरों का, ख्वाबों के दरवाज़ों का....

Sham

शाम आने के साथ , ये उदासी क्यों साथ लायी है..
लोगों ने कहा ये शामें अक्सर सुकून और रवानी लायी  है..
यों की मायने होते  है अलग अलग हर इंसान के ..
मेरे लिए तो शाम फिर वही ग़म-ए-तन्हाई साथ लायी है...

Wednesday, August 10, 2011

Eagle...














Gham...

कोई खास हुनर नहीं मुझ में ,बस मैं हँसना हँसाना जानता हूँ,
मेरे दोस्त कहते हैं, मैं ग़म में मुस्कुरना जानता हूँ,
दर्द है तन्हाई है, हर तरफ बेरुखी सी छाई है, 
मैं इनको खुद में दफनाना जानता हूँ ....